उनाकोटी का रहस्य: उनाकोटी की कथाएँ (Mystery of Unakoti in Hindi)
आपने भी सुना होगा उनाकोटी का रहस्य के बारे। पर क्या है वो ? कहाँ है ये उनाकोटी ? क्या है इसकी विशेष्ता ? और kya hai Unakoti ka Rahasya?
घना जंगल .जंगलों से घिरी पहाड़ियां। और इन पहाड़ियों की चट्टानों को तराश कर बनाई गई, आदमकद से भी ऊंची- ऊंची देव मूर्तियां। इन मूर्तियों के अलावा कई छोटी-छोटी मूर्तियां हैं। जैसे शिवलिंग, कछुआ और अन्य देव मूर्तियां। उनाकोटी मंदिर में एक ही मंदिर नहीं है, बल्कि यह एक सौ पचास एकड़ में फैला हुआ है। इन्हीं जंगलों में, कई छोटी- छोटी मूर्तियां इधर-उधर बिखरे पड़े हैं।
क्या आप जानते हैं, उनाकोटी में कितनी मूर्तियां हैं? तो यह जानकर आप हैरान रह जायेंगे। इनकी संख्या एक नहीं, दो नहीं, दस नहीं पर निन्यानबे लाख निन्यानबे हज़ार नौ सौ निन्यानबे है।
इस वीरान जंगल में, जहां ना कोई आबादी है, न गांव है। दूर-दूर तक जंगल ही जंगल।
तो आखिर! कहां से आए हैं यह रॉक कट सकल्पचर्स?
किसने बनाया इन मूर्तियों को?
कोई नहीं जानता।
क्यों बनाया गया इन मूर्तियों को?
कोई नहीं जानता। इतिहासकार और आरकेएलॉजिस्ट भी इस गुत्थी को सुलझाने में अभी तक लगे हुए हैं।
हरे-भरे घने जंगलों से घिरा हुआ है यह जगह। इस जगह को उनाकोटी कहते हैं। इन चट्टानों में तराशे गए मूर्तियां जितना अद्भुत है, उतना ही सुंदर यहां का प्राकृतिक दृश्य भी। नेचर अट इट्स बेस्ट।
उनाकोटी के पुरातत्विक रहस्य (Unakoti ke Puratatvik Rahasya)
यहां की मूर्तियां पश्चिम मुखी है। यानि कि ज्यादातर rock carvings, west facing है।
यहां की सबसे बड़ी और मुख्य मूर्ति विशाल है। और इसकी ऊंचाई 30 फीट की है। यहां के लोकल ट्राइबल इस मूर्ति को पवित्र मानते हैं। और ‘उनकोटिश्वरा काल भैरव’ के नाम से जानते हैं। यह स्कल्पचर त्रिनेत्र धारण किए हुए हैं। और बाकी के दोनों आंखों में पुतलियां नहीं है। सर मैं एक मुकुट है। और कान में कुंडल धारण किए हुए हैं। इन मूर्तियों में ट्राइबल आर्ट का इनफ्लुएंस साफ देखा जा सकता है।
इसी चट्टान में भगवान शिव के दोनों और एक- एक देवी की आकृति भी उकेरी गई है। दोनों देवियां अपने अपने वाहन पर सवार हैं। और यह अद्भूत लगता है।
तो चलिए अब उनाकोटी की कुछ विषेशताओं के बारे आपको बताता हूँ। और ये विशेस्ताएं उतनी ही दिलचस्प हैं।
उनाकोटी विशेषता |Unakoti ka Rahasya
इतिहासकारों का मानना है कि उनाकोटी के रॉक कट स्कल्पचरस में बौद्ध धर्म का प्रभाव भी देखने को मिलता है।
इन्हीं पहाड़ियों के बीच से बहता हुआ एक झरना गिरता है। जिसके बगल में एक बड़ी सी चट्टान है। इस चट्टान में गणेश जी की तीन छवियां उकेरी गई है। एक बैठे हुए हैं और दो खड़े हैं। कई स्कॉलर्स का मानना है कि यह उस काल के तांत्रिक बौद्ध (Tantrik Budhhism) के प्रभाव को दर्शाता है।
किसने बनाया इन निन्यानबे लाख निन्यानबे हज़ार नौ सौ निन्यानबे मूर्तियां कोई नहीं जानता। पर एक किंबदंती कहानी प्रचलित है। इस कहानी को सुनने से पहले हम जान लेते हैं उनाकोटी का अर्थ।

उनाकोटी का अर्थ क्या होता है? Unakoti Meaning in Hindi
अच्छा तो, उनाकोटी का मतलब क्या होता है? इस जगह का नाम ‘उनाकोटी’ ही क्यों पड़ा ?
दॉतों, उनाकोटी बंगाली भाषा का एक शब्द है। कोटि का अर्थ होता है करोड़। और उना का मतलब होता है एक कम। यानी करोड़ से एक कम।
इसे आप ऐसे समझिये। जिस प्रकार से 30 में से 1 कम होता है 29, उसी प्रकार से कोटि का अर्थ होता है करोड़, और उना मतलब एक कम। यानि करोड़ से एक कम -उनाकोटी। तभी से इस जगह को उनाकोटी के नाम से जाना जाने लगा।
उम्मीद है उनाकोटी का मतलब आप भली- भाँति समझ गए होंगे ! अब चलिए, उनाकोटी पर कई प्रचलित कहानियों में से, एक कहानी मैं आपको सुनाता हूँ।
उनाकोटी की कहानी (Unakoti Story)
इस कहानी से आपको पता चल जायेगा कि एक ही रात में उनाकोटी की नक्काशी किसने बनवाई ?
कल्लू नाम का एक शिल्पकार था। जो भगवान शिव और माता पार्वती का परम भक्त था। एक बार वह शिव जी के साथ कैलाश पर्वत जाने की जिद करने लगा।
शिव जी परेशान ! कैसे ले जाएं कैलाश पर्वत? तब उन्होंने एक शर्त रखी। कल्लू शिल्पकार से कहा- यदि तुम एक रात में एक करोड़ देवी देवताओं की मूर्तियाँ बना दो, तो मैं तुम्हें कैलाश पर्वत ले जाऊंगा।
और क्या था कल्लू शिल्पकार पूरे लगन और मेहनत से लग गया चट्टानों को तराशने में। पूरी रात सोया नहीं वह।
जब सुबह हुई तो सूर्य की पहली किरण पड़ते ही शिव जी आ गए। और उन्होंने पाया कि मूर्तियां तो बहुत बनाई है कल्लू शिल्पकार ने। पर उन्होंने पाया कि एक करोड़ में एक मूर्ति कम है। तब शिवजी ने शिल्पकार को अपने साथ नहीं लिया। और अकेले ही चल पड़े कैलाश पर्वत की ओर ।
उनाकोटी किसने बनाई ? (Who made Unakoti)
यह तो थी एक पौराणिक कहानी।
लेकिन आर्कियोलॉजिस्ट और इतिहासकारों के कई स्टडीज़ से पता चलता है, कि प्राचीन काल में त्रिपुरा को सूक्ष्म देश या क़िरात भूमि के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में किराता ट्राइब के वंशज यहां वास किया करते थे। आर्कियोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन से इनके साक्ष्य भी पाए गए हैं। पुरापाषाण युग (Paleolithic Age) से लेकर नवपाषाण युग (Neolithic Age) के कई टूल्स त्रिपुरा के अन्य हेरिटेज साइट में भी पाए गए हैं। इनके अलावा सिक्के, आर्किटेक्चर, पांडुलिपियां और शिलालेख भी मिले हैं। जिससे आर्कियोलॉजिस्ट और इतिहासकारों का मानना है कि उनाकोटी की मूर्तियों का निर्माण काल आठवीं से 11 वीं सदी के बीच रहा होगा।
उनाकोटी कहाँ है?
इंडिया का नॉर्थ ईस्ट स्टेट का एक राज्य है ‘त्रिपुरा,। त्रिपुरा की राजधानी है ‘अगरतला’। और अगरतला से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है उनाकोटी। तो क्या आप नहीं चाहेंगे इस रहस्यमयी और ऐतिहासिक जगह में विजिट करना ?
उनाकोटी कैसे पहुंचें ?
हवाई ज़हाज़ के द्वारा: अगर आप फ्लाइट से आते हैं तो, अगरतला आइए। अगरतला से कैलाशर By Road पहुँचिये। अगरतला से कैलाशहर 178 किलोमीटर की दुरी पर है। कैलाशहर से उनाकोटी मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर है।
रेलमार्ग द्वारा: नज़दीकी रेलवे स्टेशन कुमार घाट है। वहां से कैलाशहर 26 किलोमीटर है। बस ऑटो और दूसरे शेयर्ड व्हीकल्स मिल जाते हैं। कैलाशहर से उनाकोटी मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क मार्ग द्वारा: गुवाहाटी, शिलांग, सिलचर से आप बस से अगरतला पहुँच सकते हैं। अगरतला से कैलाशहर के लिए बसें मिल जाती हैं। कैलाशहर से उनाकोटी मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर है। जहाँ से आपको ऑटो मिल जायेंगें।
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