घनघोर जंगल ! ऊँची पहाड़ियाँ ! जंगलों के बीच बाबा टांगीनाथ धाम मंदिर गुमला। इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कहानियां हैं। जो बड़े ही दिलचस्प हैं।
मान्यता है कि भगवान् परशुराम ने यहाँ अपना फरसा गाड़ा, बैठ गए। और इन घनघोर जंगल में तपस्या करने में लीन हो गए। आगे हम देखेंगे इस फरसा में आखिर क्या है रहस्य वाली बात ?
टांगीनाथ धाम यात्रा वृतांत
मेरे एक मित्र ने इस धाम की चर्चा की थी। और तभी से यहाँ घूम आने की ललक मेरे मन में जाग उठा था।
मेरा पैतृक गांव गुमला झारखण्ड में ही है। फिर भी हम वहां कभी जा नहीं पाए थे। क्योंकि मेरे पिताजी एक सरकारी नौकरी में थे। हम साथ रहते थे और पिताजी का ट्रांसफर हर तीन-चार साल में हो जाता था।

फिर क्या था ? मैं और मेरा चचेरा भाई चन्दन ने बाइक निकाली और चल पड़े डुमरी। रायडीह फिर मांझाटोली पार करते हुए हम रफ़्तार में आगे बढ़ रहे थे। हरे-भरे साल के पेड़ों के जंगलों के बीच से गुज़रता हुआ सड़क और स्वच्छ परिवेश था। एकदम एडवेंचर वाली फ़ील आ रही थी।

हम पहुँच चुके थे डुमरी। यहाँ हमने लोगों से टांगीनाथ धाम जाने का रास्ता पूछा। हाँ ! एक और बात बता दूँ यहाँ के लोग बहुत ही सौम्य, सरल और मिलनसार हैं।
और अब हम पहुँच चुके थे टांगीनाथ धाम गुमला ! पहाड़ों के ऊपर, मंदिर के पास ही एक बूढी माताजी पूजा के लिए फूल और चावल बेच रहीं थीं। उनहोंने हमें बताया कि वे लगभग तीस वर्षों से इस सेवा कार्य में लगी हुई हैं।

बाबा टांगीनाथ धाम का रहस्य
इस पौराणिक मंदिर के प्रांगण में एक फरसा, न जाने कई हज़ारों वर्षों से खुले में गड़ा है। गरमी की धुप, जाड़े की ठण्ड और वर्षा का जल को झेल रहा है। पर इसमें जंग नहीं लगता है। जो अकस्मात ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

कुछ गांव वालों ने यह भी बताया कि एक लोहार ने इस फरसे को निकालना चाहा। वह इसे निकाल तो नहीं पाया और उसे काटने का प्रयास किया। इसपर उसके साथ अनहोनी घटना घट गयी।
क्या देखें टांगीनाथ धाम डुमरी में ?
- यदि आप एक ऐतिहासिक जगह में घूमना पसंद करते हैं तो ! इस पुरातात्विक महत्व के स्थान में रहस्यमयी फरसा के अलावा भी बहुत कुछ है यहाँ एक्सप्लोर करने को।

- यहाँ सैकड़ों की संख्या में पत्थरों को तराश कर निर्मित शिवलिंग बिखरे पड़े हैं। तथा कई अद्भुत देव मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी जो पत्थरों को तराश कर बनायीं गयीं हैं।


- एक पुराना मंदिर है। जिसमें बहुत ही सुन्दर नक्काशी की गयी है। कुछ पुरोहितों की मानें तो स्वयं भगवान् विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण किया था।

- एक नई मंदिर का भी निर्माण किया गया है। जहाँ आप दर्शन भी कर सकते हैं।

टांगीनाथ धाम का विडिओ देखें
टांगीनाथ धाम कहाँ है?
- टांगीनाथ मंदिर झारखण्ड के गुमला जिला के डुमरी प्रखण्ड में अवस्थित है।
- गुमला शहर से इसकी दूरी 50 KM है।
- राँची से यह लगभग 150 KM दूर है।
कैसे पहुंचे टांगीनाथ का धाम?
- अगर आप गुमला से जा रहे हैं तो बस द्वारा डुमरी पहुंचें। डुमरी से ऑटो रिक्शा बुक कर लें।
- अगर आप राँची से आ रहे हैं तो राँची से डुमरी के लिए डायरेक्ट बस पकड़ कर डुमरी उतरें। फिर ऑटो रिक्शा बुक कर लें।
- आप अपने निजी वाहन द्वारा भी जा सकते हैं।

कहाँ ठहरें?
डुमरी में कोई होटल या लॉज नहीं है? आप गुमला पटेल चौक, जो बस स्टैंड के पास ही है। यहाँ कई सारे बजट होटल उपलब्ध हैं। या फिर आप रांची में ठहर सकते हैं।
टांगीनाथ धाम गुमला झारखण्ड जाने का बेस्ट सीजन क्या है?
मुझे तो भाई ! हरियाली बहुत पसंद है। मॉनसून के बाद जब चारों ओर हरियाली होती है। मौसम खुशनुमा हो जाता है। ये सीजन अगस्त से मार्च तक बेहद उम्दा रहता है।
वैसे तो आप पुरे वर्ष में कभी भी जा सकते हैं। पर गर्मियों में बहुत गर्मी पड़ती है। और शिवरात्रि में यहाँ बहुत बड़ा मेला भी लगता है।
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तो दोस्तों ! आप भी आएं। झारखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता और अनछुए पर्यटक स्थलों को एक्स्प्लोर करें। आप ज़रूर एन्जॉय करेंगे।
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Nice article
Good to know that. Thank you.
Bahut achcha likha hai
Achha laga jaankar. Thank you.
Bahut hi accHi jaankari di hai aapne sir… I will definitely share it to my… Frnds…..
Oh thank you. Aap ke articles achhe hain.