टेर्राकोट्टा मंदिरों का शहर बिष्णुपुर Bishnupur Terracotta Temples

क्या आप ऐतिहासिक (historical places) घूमना पसंद करते हैं? तो बिष्णुपुर एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।

बिष्णुपुर, पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा ज़िला में है. यह पश्चिम बंगाल के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है। यदि आप कोलकाता tour पर जाते हैं तो इसे अपने Kolkata weekend destinations में शामिल करें।

मैं धनबाद झारखण्ड में रहता हूँ। मैं कोलफील्ड एक्सप्रेस से दुर्गापुर पहुंचा। दुर्गापुर रेलवे स्टेशन के पास ही बस स्टैंड है, वहीँ से बिष्णुपुर के लिए डायरेक्ट बस मिल गयी।

बिष्णुपुर मल्ल राजाओं की नगरी हुआ करता था। यहाँ पत्थरों की घोर कमी थी। अतः मल्ल राजाओं ने एक अद्भुत तकनीक अपनायी। और टेर्राकोट्टा मिट्टी से कई मंदिरों का निर्माण कराया।

क्या देखें बिष्णुपुर में?

टेराकोटा (Terracotta) एक इटालियन शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘जली हुई मिट्टी या पकाई हुई मिट्टी। ‘ Bishnupur Temples की कलाएं देखने योग्य हैं और विश्व प्रसिद्ध भी। इसलिए इसे ‘मंदिरों का शहर बिष्णुपुर ‘ या ‘Land of Temples Bishnupur’ भी कहा जाता है। हमने अपने सैर की शुरुआत की बिष्णुपुर के प्रवेश द्धार से।

1. पाथोर दरवाज़ा Pathor Darwaza

इसे बिष्णुपुर साम्राज्य का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। बिष्णुपुर, सातवीं सदी में मलभूम राजाओं की राजधानी रही है। और इसे पश्चिम बंगाल के साम्राज्यों में से एक सांस्कृतिक केंद्र होने का गौरव प्राप्त है।

पाथोर दरवाज़ा - बिष्णुपुर नगरी का प्रवेश द्धार
पाथोर दरवाज़ा – बिष्णुपुर नगरी का प्रवेश द्धार

इसका निर्माण लेटराइट पत्थरों से किया गया है। इसलिए इसे पाथोर दरवाज़ा या विशाल दरवाज़ा भी कहा जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इसमें ऊपर सशस्त्र सैनिकों के लिए केबिन भी बने हुए हैं। संभवतः सैनिक यहाँ से राज्य में प्रवेश करने वाले लोगों पर नज़र रखा करते थे।

पाथोर दरवाज़ा - अंदर का दृश्य
पाथोर दरवाज़ा – अंदर का दृश्य
विशाल दरवाज़ा- एक साइड व्यू
विशाल दरवाज़ा- एक साइड व्यू

2. राधा लालजीउ मंदिर Radha Laljiu Temple Bishnupur

आगे बढ़ने पर हमें एक भव्य सफ़ेद मंदिर दिखाई पड़ा। इसका निर्माण राजा बीरसिंह ने कराया था। पूरे बिष्णुपुर में यही एक ऐसा मंदिर है जिसके चारों ओर दीवारों का घेरा किया गया था। इस मंदिर में एक शिखर होने से इसे एक रत्न मंदिर भी कहते हैं।

लालजीउ मंदिर बिष्णुपुर बांकुड़ा
लालजीउ मंदिर के विशाल खंभे

इसके ठीक सामने सुंदरीकरण का काम चल रहा था। यहाँ बैठकर आप अपनी थकान भूल जायेंगे। हरे – हरे घासों के गलीचे लगाए जा रहे थे। फूल पौधे भी रोपे जा रहे थे।

bishnupur mandir bankura
लालजीउ मंदिर के सामने का सुन्दर बाग़

लालजीउ मंदिर देखने के बाद हम सीधा जोड़ बांग्ला मंदिर की ओर चल पड़े।

3. जोड़ बांगला मंदिर Jor Bangla Temple Bishnupur

यह मंदिर टेराकोटा मिट्टी द्वारा बनाया गया एक अद्भुत मंदिर है। इसमें बंगाल स्टाइल के फूस बंगला घर का नमूना देखने को मिलता है। इसे एक विशाल चबूतरे के ऊपर एक जोड़ा में बनाया गया है। इसलिए इसे ‘ जोड़ बांगला मंदिर ‘ कहा जाता है।

jor bangla temple bishnupur bankura

इस मंदिर को केश्टो राय मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसे Archeological Survey of India द्वारा maintain किया जाता है।

looking at sculputers of bishnupur terracota temples
पकाई गयी मिट्टी से चित्रण, देखना अद्भुत था

इसका निर्माण राजा रघुनाथ सिंघ द्वारा सन 1655 ई. में कराया गया था। इस मंदिर के दीवारों पर बंगाल के संस्कृति, कृष्ण लीला और nature से related कलाएं देखने को मिलेंगी।

जोड़ बांग्ला मंदिर बिष्णुपुर बांकुड़ा सामने से
जोड़ बांग्ला मंदिर का दृश्य – सामने से
  • जोड़ बंगला मंदिर देखने से हम और भी उत्साहित थे और हमारे कदम , मदनमोहन मंदिर की और चल पड़ा।

4. मदनमोहन मंदिर Madanmohan Temple Bishnupur

इस मंदिर में terracotta art tiles का प्रयोग बखूबी किया गया है। यह विशाल ‘ एक रत्न ‘ मंदिर है। या यों कहें एक शिखर वाला मंदिर है।

मदन मोहन मंदिर बिष्णुपुर बांकुड़ा
मदन मोहन मंदिर बिष्णुपुर बांकुड़ा

इस मंदिर में रामायण और महाभारत के पौराणिक कथाओं के अंशों को बड़े ही सुंदरता से चित्रण किया गया है। प्रकृति से प्रेरित इस मंदिर में फूल, पशु, पक्षी और बंगाल के जीवन शैली के चित्रण भी देखने को मिलेंगे।

महाभारत एवं रामायण का चित्रण
प्रकृति, पशु, पक्षी के चित्रण

इस मंदिर का निर्माण राजा दुर्जन सिंघ ने 1694 ई में कराया था। इसमें रखी मूर्ति बीरभूम से लाया गया था। बीरभूम पश्चिम बंगाल का एक अन्य जिला है। आईये देखते हैं इन मंदिरों की कुछ ख़ास झलकियां।

देखें बिष्णुपुर की झलकियां

5. बाउल गान

जोड़ बांगला मंदिर के पास ही एक वृद्ध सज्जन, एकतारा लिए बाउल गान कर रहे थे। मैंने भी उनके साथ बैठकर कुछ देर बाउल गान सुना। जिसमें बंगाल के जीवन की झलक मिल रही थी। अब बाउल गान, बंगाल के ग्रामीण इलाकों में ही सुनने को मिलता है।

दोस्तो ! बिष्णुपुर में कई सारे मंदिर देखने योग्य हैं। इसलिए हमने निर्णय लिया कि बाकी के मंदिर हम अगले दिन भ्रमण करेंगे।

बिष्णुपुर में मुझे एक चीज़ बहुत ही अच्छा लगा वो है, यहाँ जगह- जगह लगे रोड मैप (Road Map) . यहाँ मंदिरों को खोजने में आपको कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आप स्वतः ही इन रोड मैप्स के डायरेक्शन से ढूंढ लेंगे। पर मैं तो कहूंगा एक टोटो बुक कर लेना ज़्यादा सुविधाजनक होगा।

आप भी इस यात्रा के बारे में अपना विचार ज़रूर दें। हमें ख़ुशी होगी।

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