अजंता गुफा की खोज किसने की ? शिकार के दौरान कैसे मिला यह विश्व धरोहर

तो आप जानना चाहते हैं। अजंता गुफा की खोज किसने की ? विश्व के कई ऐतिहासिक धरोहर की खोज की कहानी बड़े ही रोचक है। विश्व धरोहर अजंता की गुफाओं की खोज के पीछे भी एक दिलचस्प घटना है। इसे कब और कैसे खोजा गया। आगे पढ़िए ये दिलचस्प और सच्ची घटना !

बात सन 1819 की है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में वाघोरा नदी घाटी है। वाघोरा नदी घाटी घने जंगलों से घिरा हुआ है, जहां एक ब्रिटिश कैप्टन बाघ का शिकार करने निकले थे। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के 28th Madras Cavalry के Captain . जिन्हे Tiger Smith के नाम से भी जाना जाता था। क्योंकि उन्होंने एक नहीं, दो नहीं बल्कि 99 Tigers का शिकार किया था।

आज के समय में टाइगर का शिकार करना इल्लीगल है। पर उन दिनों राजाओं, महाराजाओं और high ranked british officials के लिए यह एक royal sports हुआ करता था।

और क्या था, टाइगर स्मिथ ने एक लोकल चरवाहे को गाइड के रूप में हायर किया। और चल पड़े waghora river valley के जंगलों में टाइगर का शिकार करने। यह घटना सिर्फ शिकार करने का ही नहीं बल्कि अजंता की गुफाओं की खोज की भी है।

अजंता गुफा की खोज

इन अद्भुत गुफाओं को दुनिया के सामने लाने का श्रेय किसे जाता है ? अजंता की गुफाओं की खोज के पीछे एक बड़ा ही रोचक और इंटरेस्टिंग घटना है। यह घटना हमारे देश के आजादी के पहले की घटना है। मैं आपको ले चल रहा हूँ अजंता की गुफाओं की खोज में। जिससे आप यह जान पायेंगें कि, अजंता गुफा की खोज किसने की…

Waghora river valley से sahyadri mountain range शुरू हो जाता है। और sahyadri mountain range के घने जंगलों में अनगिनत बाघों का वास था। जहाँ वे स्वतंत्र रूप से घुमते फिरते थे।

एक बाघ का पीछा करते-करते Tiger Smith और वो चरवाहा दोनों, ऐसी जगह पहुंच गए, जहां खड़ी चट्टाने थी। ये चट्टानें घोड़े की नाल की आकार जैसे कि english alphabet U के shape की थी। सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के बीच से एक झरना नीचे की ओर बह रहा था। और उनके लिए यह दृश्य सुन्दर और अद्भुत था।

Captain और चरवाहे को शिकार तो मिला नहीं पर, उस कल कल करते झरने के बीच से उनकी नजर उन गुफाओं पर पड़ी। उन्होंने बाघ ढूढ़ने के लिए वहां जाने का निश्चय किया । फिर क्या था दोनों ने गुफा के प्रवेश द्वार के आसपास की झाड़ियों को काट कर सफाई की और अंदर प्रवेश किया।

अंदर घुप्प अंधेरा था, उन्होंने एक मशाल जलाया और अंदर प्रवेश किया। अंदर का वातावरण बहुत ही नम और humid था। इस अँधेरे में चमगादड़ इधर से उधर उड़ रहे थे। वे थोड़े डर भी गए। पर मशाल की रोशनी में जब उनकी आंखें adjust हो गई, तब जो उन्होंने देखा, उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। वे बिल्कुल स्तब्ध रह गए थे।

गुफा की दीवारों पर शानदार खुदाई की गई थी। गुफ़ा लग रहा था मानो कोई पत्थरों का महल हो। दीवारों पर शानदार मूर्तियों की नक्काशी की हुई थी। जो बिल्कुल जीवंत लग रहे थे। पूरा दीवार bright paintings यानी विभिन्न तरह के भित्ति चित्रों से सुसज्जित था। इन भित्ति चित्रों में पेड़ पौधे, पशु पक्षी, पुरुष महिलाएं और भगवान बुद्ध की चित्रकलाएं विविध रंगों में बड़े ही सुंदर ढंग से पेंटिंग किये गए थे।

इन्हें देखकर वे बहुत आश्चर्यचकित और विस्मित हो गए थे। आखिर यह चित्रित गुफाएं किसी खजाने से कम तो नहीं थे। फिर क्या था उन्होंने एक Mural painting पर अपना नाम भी लिख दिया। ‘Captain John Smith, 28th Madras Cavalry, 28th April 1819

ajanta gufa ke anadar ka chitra
एक भित्तिचित्र- अजंता की गुफाएँ

लौटने के बाद कैप्टेन स्मिथ ने क्या किया

मद्रास वापस लौटने के बाद Captain John Smith अपने कर्तव्य का पालन करते हुए, अपने उच्च अधिकारियों को इस अद्भुत खोज के बारे में जानकारी दी।

उनके उच्च अधिकारियों ने इसकी जानकारी दो संस्थाओं को दिया। पहला ‘बॉम्बे लिटरेरी सोसायटी’ और दूसरा ‘रॉयल एशियाटिक सोसाइटी’। यह दोनों संस्थाएं britishers द्वारा ही स्थापित की गई थी। ऐसे ब्रिटिशर्स जो भारतीय संस्कृति को चाहते थे। जो भारत के लोगों और उनके कल्चर के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखते थे। जो भारत के विविध संस्कृति का अध्ययन करना चाहते थे।

इसके बाद अजंता की गुफाओं को explore करने के कई अभियान चलाए गए। जिनमें सैनिकों की टुकड़ियां भी हुआ करती थी। इन गुफाओं की शानदार भित्ति चित्र, चित्रकला, मूर्तिकला और शिल्प कला का अध्ययन करने के लिए इतिहासकार, आर्कियोलॉजिस्ट जैसे कई scholars यहां पहुंचने लगे।

और इस प्रकार 2000 वर्ष पुरानी अजंता की गुफाओं के बारे विश्व के लोग जानने लगे। 28th Madras Cavalry के Captain John Smith ही वे व्यक्ति थे, जिन्हें अजंता की गुफाओं की खोज का श्रेय जाता है।

अजंता में कितनी गुफाएं हैं

यह गुफाएं यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में लिस्टेड है। यहां एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे 29 गुफाएं हैं। इनमे से सभी 29 गुफाएँ  बौद्ध हैं। जिनमें से 25 को विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में उपयोग किया जाता था। और 4 गुफाओं को चैत्य या प्रार्थना भवन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।

अजंता के इन गुफाओं में भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित अनमोल मूर्तियां, नक्काशीयाँ और brightly coloured paintings मौजूद है। और यह सभी गुफाएं घने जंगलों के बीच अवस्थित हैं। यह पेंटिंग लगभग 2000 वर्ष पुराने हैं। इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षु ध्यान साधना किया करते थे।

इन गुफाओं को वर्ष 1983 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल कर लिया था।

अजंता की गुफाएं कहाँ स्थित हैं

  • अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।
  • यह अजिंठा नामक गांव के पास स्थित है
  • यह वाघोरा नदी के पास ही बनाई गई है, जो सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में राॅक-कट गुफाओं के एक शृंखलाबद्ध रूप में स्थित है।
  • जलगाँव स्टेशन से अजंता की गुफाओं की दूरी 61 किलोमीटर है।
  • अजन्ता की गुफाएँ ’विंध्य की सहयाद्रि सतपुङा पर्वतमाला’ में ’बघोरा नदी’ के किनारे 1 अर्धचन्द्राकार 75 मी. (250 फुट) ऊँचे स्थान पर है।
  • यह गुफाएँ अजंता नामक गाँव के पास ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है।

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